भारत ने चीन से 1962 की हार का लिया था बदला! जानिए – कैसे, कब और कहां?
नई दिल्ली – भारत और चीन
के बीच सीमा विवाद दिनों-दिन गहराता ही जा रहा है। अभी हाल ही में चीनी
सेना ने भारतीय सीमा में घुसकर भारते के दो बंकर तबाह कर दिए और पीएम मोदी
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप कि मुलाकात पर भारत को 1962 कि याद दिलाते हुए
ललकार भी लिया। चीन ने भारत को 1962 में मिली हार से सबक लेने कि सलाह दी
है। हां ये सच है कि भारत चीन से 1962 में हार गया था लेकिन क्या आपको पता
है कि भारत ने उस हार का बदला पांच साल बाद ही चीन को हराकर बदला लिया
था। India china war in nathula pass at 1967.
1967 में पांच साल बाद सिक्किम में चटाई थी धूल :
साल 1967 में भारत ने सिक्किम में
भारत-चीन सीमा पर मौजूद नाथुला के पास चीन को हरा कर अपना बदला लिया था। इस
इलाके में दोनों देशों के बीच जो दरवाजा बना है उसके एक तरफ लोहे की एक
बाड़ है। जिसे लेकर 11 सितंबर साल 1967 को दोनों देशों की सेनाएं एक बार
फिर दूसरे के आमने-सामने आ गई थीं। दरअसल, विवाद इस बात को लेकर था कि साल
1967 से पहले यहां सीमा की पहचान के लिए सिर्फ एक पत्थर लगा था।
इसी को लेकर चीनी सेना ने भारतीय सेना को
पीछे हटने की धमकी दी और कहा कि पीछे हट जाओं नही तो 1962 की तरह कुचल दिए
जाओगे। चीन को सबक सिखाने के लिए नाथुला में तैनात मेजर जनरल सगत राय की
अगुवाई में सेना ने कंटीली बाड़ लगाने का फैसला किया। इसके बाद चीन ने बाड़
भारतीय सेना पर हमला कर दिया, लेकिन सेना ने मुहतोड़ जवाब देते हुए बाड़
लगाने का काम पुरा कर लिया।
1967 में ही दुसरी बार भारतीय सेना ने चीन को सिखाया सबक :
दूसरे विवाद की बात करें तो चाओ ला इलाके
में भारत और चीन की पोस्ट के बीच की दूरी बहुत कम है। इस इलाके साल 1967
भारत और चीनी सेना के बीच लड़ाई हुई थी जिसमें भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना
को मार भगाया था। इस इलाके में मिली हार के बाद से चीन ने चाओ ला इलाके
में कभी दखल नही दिया। इस लड़ाई का जिक्र 1967 में वहां तैनात रिटार्यड
मेजर जनरल शेरू थपलियाल ने अपने एक लेख में किया था।
मेजर ने लिखा था कि, इस लड़ाई में दो वीर
जवान 2 ग्रिनेडियर के कैप्टन डागर और 18 राजपूत के मेजर हरभजव सिंह ने चीन
को मुंहतोड़ दिया। उस लड़ाई में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के लिए नाथुलापास
पर अमर जवान स्मारक भी बनाया गया है।
No comments:
Post a Comment