Wednesday, May 11, 2016

Banana

    केला (Banana)

                          भारत में पाया जाने वाला एक फल है। केला एक बहुत ही स्वास्थ्यवर्धक व गुणकारी फल है। केला एक ऐसा फल है जिसको खाने पर तुरंत ताकत मिल जाती है। केला दुनिया के सबसे पुराने और लोकप्रिय फलों में से एक है। केले की गिनती हमारे देश के उत्तम फलों में होती है और हमारे मांगलिक कार्यों में भी विशेष स्थान दिया गया है। विदेशों में भी इसके गुणों के कारण इसे स्वर्ग का सेव और आदम की अञ्जीर नाम प्रदान किये गये हैं।

विभिन्न नाम

           हिन्दी में केले के नाम से जाना जाने वाला यह फल असमिया में कोल, बंगला में काला, गुजराती में केला, कन्नड़ में बाले गिड़ा, या बालेहन्नु, कोंकणी में केल, मलयालम में वझा, मराठी में कदलीद्व या केल, उड़िया में कोडोली या रोम्भा, तमिल में वझाई, तेलुगु में आसी, अंग्रेज़ी में बनाना (Banana) या प्लेण्टेन (Plantain) और लैटिन में म्यूसा पैराडाइजिएका (Musa paradisica) / म्यूजा सेपीएन्टमनाम से पुकारा जाता है। वनस्पति जगत के म्यूसेसी (Musaceae) कुल में इसे रखा गया है। मूसा जाति के घासदार पौधे और उनके द्वारा उत्पादित फल को आम तौर पर केला कहा जाता है।

केला के गुण

                                        केला फल के रूप में अच्छी तरह से जाना जाता है। केला अपने कई औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। छिलके के कारण केला नैसर्गिक रूप में हमेशा शुद्ध और संक्रमण मुक्त रहता है। केले का फूल और तना भी स्वादिष्ट व्यंजन की तरह पकाया जाता है। केला और दूध साथ-साथ खाना अपने आप में पूर्ण भोजन होता है। केले के साथ इलायची खाने से केला आसानी से पचता है। केले पर हलके भूरे रंग के दाग़ इस बात की निशानी हैं कि केले का स्टार्च के पूरी तरह नैसर्गिक शक्कर में परिवर्तित हो चुका है। ऐसा केला आसानी से हजम होता है। आमतौर पर लोगों की यह धारणा होती है कि जब केले खूब पक जाते हैं या पिलपिले हो जाते हैं, उनमें कीटाणु पैदा हो जाते हैं, किन्तु चिकित्सकों के अनुसार यह एक गलतफहमी है। वे कहते हैं कि जब तक केले का छिलका उसमें गूदे पर पूरी तरह चिपका होता है, तब तक खाने योग्य एवं हानिरहित हैं।
                   कुछ लोगों की यह धारणा भी है कि केले पचने में भारी होते हैं। दरअसल कच्चे या अधपके केलों को खाने से ऐसा होता है, क्योंकि ये आसानी से हमारे पेट में सरलता से पचने वाली शर्करा में परिवर्तित नहीं होते। फिर भी केले को खाने के बाद यदि भारीपन महसूस होता हो तो एक दो इलायची ऊपर से खाने से तुरन्त पेट में हल्कापन आ जाता है। चिकित्सकों के अनुसार केले के छिलके काले हो जाने के पश्चात् भी खाने योग्य रहते हैं, बशर्ते उसका छिलका गूदे से चिपका हो।
पके केले के गुण
स्वादिष्ट, शीतल, वीर्यवर्धक, शरीर के लिए पुष्टकारक, माँस को बढ़ाने वाला, भूख, प्यास को दूर करने वाला तथा नेत्र रोग और प्रमेह नाशक है।
कच्चे केले के गुण
शीतल, ग्राही एस्ट्रीजेन्ट्स- यानी जो अपनी क्रिया द्वारा शरीर के दोष, मल व धातु को सोख ले पाचन में भारी, रक्त, पित्त, वायु, कफ विकार तथा क्षय को दूर करने वाला होता है।

केला का पौधा

केले के पौधे हरे, 10 से 12 फीट तक ऊँचे तथा काष्ठहीन होते हैं। इनके पत्र काफ़ी बड़े-बड़े तथा पत्रवृंत मोटे एवं मांसल होते हैं। इसके पौधों में शाखाएँ नहीं होतीं तथा स्तम्भ पर्तदार होता है। हर मौसम में मिलने वाला यह फल स्वादिष्ट और बीजरहित है। केले की 300 से भी अधिक किस्में होती हैं और इसकी खेती बहुत बड़े पैमाने पर की जाती है। केले की लंबाई चार इंच से लेकर 15 इंच तक हो सकती है। केले की जाति के आधार पर इसके स्वाद में अंतर हो सकता है।

पौष्टिक तत्व

केले में पोटैशियम, सोडियम, फॉस्फोरस, विटामिन ए, बी1, बी2 और विटामिन सी होते हैं। केला शक्तिवर्धक तत्वों, प्रोटीन, विटामिन और खनिज पदार्थों का अनोखा मिश्रण है। इसमें पानी की मात्रा कम होती है। यह उष्मांक (केलोरी) वर्धक भी है। केला और दूध का मिश्रण शरीर और स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम है। केला अपने आप में स्वास्थ्यवर्ध्दक फल है क्योंकि केले के गूदे में 1.5 प्रतिशत प्रोटीन, लगभग 3 प्रतिशत विटामिन, खनिज, 20 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स और बाकी ज्यादातर जल तत्व होता है। लिहाजा पके हुये केलों को खाने से अजीर्ण नहीं होता। छोटे बच्चों को कम से कम एक केला खिलाने से उनमें उत्तम विकार देखा जा सकता है। केले में कैल्शियम फास्फोरस, लोहा, ताँबा, सीसा, आयोडिन, सोडियम मैग्नीज आदि अनेक शरीरोपयोगी खनिज तत्व भी होते हैं। इस प्रकार हर दृष्टि से यह एक उत्तम फल है।

केला और दूध

                 भारतीय ग्रन्थों में भी केला और दूध साथ-साथ खाने को पूर्ण भोजन कहा गया है। यह तथ्य इसलिये भी स्पष्ट हो जाता है कि हमारे  भोजन के जो घटक केले में नहीं होते, वे दूध से प्राप्त हो जाते हैं। इस प्रकार दूध और केले खा लेने के बाद किसी भी व्यक्ति को भोजन करने की कोई आवश्यकता नहीं रहती है। यह योग एक सन्तुलित आहार का कार्य करता है।

औषधीय महत्त्व

वजन बढ़ाने के लिए -
               एक पाव (250g.) दूध के साथ रोजाना दो केलों का सेवन करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शरीर का वजन बढ़ता है।
आँत सम्बन्धी रोगों में -
               कई लोगों की आंतों में गड़बड़ी होने के कारण उन्हें दस्त या पेचिस की शिकायतें बनी रहती हैं। ऐसे लोगों को दो केलों का सेवन उनके (केलों के) वजन से आधे वजन के दही के साथ करना लाभकारी है।
मुँह के छालों पर -
               कुछ लोगों को आये दिन मुंह के छाले हो जाते हैं। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे गाय के दूध से निर्मित दही के साथ केला खायें। यह प्रयोग सात से दस दिन तक करना पड़ता है।
शीघ्रपतन में -
            शीघ्रपतन के रोगियों के लिये केला रामबाण औषधि है। इसके लिये केले को शहद के साथ खाना चाहिये। इसकी मात्रा है, एक केले के साथ एक तोला शहद। यह प्रयोग कम से कम पन्द्रह दिनों तक लगातार करें।
पेट के कीड़े मारने तथा ख़ून शुद्ध करने के लिये -
              इसके लिए केलों की जड़ के अर्क सेवन लाभदायक है। इस अर्क को बनाने के लिये लगभग एक किलो जल में 50 ग्राम केले की जड़ में डालकर इतना गर्म करें कि जल की मात्रा आधी हो जाये। इसके बाद मिश्रण को छान लें। यही छानन अर्क है। इसी अनुपात में ताजा अर्क बनायें। अर्क की दो तोला मात्रा एक बार में लें।
स्त्रियों के सोमरोग में -
              स्त्रियों में पुरुषों के बहुमूत्र रोग के समान ही एक रोग होता है। इसे सोमरोग कहते हैं। इस रोग के इलाज के लिए केले को शहद और शक्कर के साथ खाना चाहिये। दो केले के साथ एक तोला शहद और एक तोला शक्कर पर्याप्त है।
टी.बी.में -
                टी.बी. यानी क्षय रोग में रोगी को पका केला देने से शरीर में शान्ति महसूस होती है और खाँसी में भी आराम मिलता है।

केले के फ़ायदे

  • केला में कैल्शियम की मात्रा होने से यह हड्डियों और दांतों की मज़बूती के लिए अच्छा माना जाता है।
  • जो लोग बहुत पतले दुबले होते हैं, उन्हें दो केले 250 ग्राम दूध के साथ नियमित सेवन करना चाहिए। इससे उनका स्वास्थ्य भी ठीक होता है और वजन भी बढ़ता है।
  • गैस्ट्रेक होने पर, अल्सर होने पर या मन्दाग्नि होने पर नियमित केले का सेवन करने से शरीर को फ़ायदा होता है।
  • केले में लौह तत्त्व की प्रचुर मात्रा होती है जो रक्त निर्माण में सहायक होती हैं। जिन लोगों के शरीर में रक्त की कमी होती है उन्हें केला नियमित रूप से खाना चाहिए।
  • केला ख़ून में वृद्धि करके शरीर की ताकत बढ़ाने में सहायक है। यदि प्रतिदिन केला खाकर दूध पिया जाए, तो कुछ ही दिनों में व्यक्ति तंदुरूस्त हो जाता है।
क्या आप केला खाकर उसके छिलके को कूड़े के डिब्बे में फेंक देते हैं?
                                                              
                 धन्यवाद मित्रो !